ठेकेदार पर नियमों के उल्लंघन का आरोप, लगातार भारी वाहनों की आवाजाही से ग्रामीण परेशान।
महासमुंद// जिले की बड़ागांव ग्राम पंचायत, जो वर्षों से रेत खदान क्षेत्र के रूप में जानी जाती है, एक बार फिर अवैध रेत उत्खनन को लेकर सुर्खियों में है। ग्रामीणों और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, स्वीकृत खदान होने के बावजूद ठेकेदार द्वारा निर्धारित सीमांकन का पालन नहीं किया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार विष्णु अग्रवाल द्वारा स्वीकृत क्षेत्र छोड़कर नदी की ऊपरी धारा में अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। बताया गया है कि उस क्षेत्र में रेत की मात्रा अधिक है, जिससे ठेकेदार को अतिरिक्त आर्थिक लाभ मिल सके। यह खनन खनिज विभाग की गाइडलाइन और नियमों के विपरीत है।
ग्रामीणों ने बताया कि प्रतिदिन सुबह से देर रात तक हाइवा, डंपर और ट्रैक्टरों की लगातार आवाजाही से गांवों में परेशानी बढ़ गई है। कई मजदूरों और ड्राइवरों ने अनौपचारिक रूप से स्वीकार किया कि खनन स्वीकृत क्षेत्र से बाहर किया जा रहा है।
अवैध उत्खनन से न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि नदी का प्राकृतिक स्वरूप, तटों की मजबूती और पर्यावरणीय संतुलन भी खतरे में है। पर्यावरण प्रेमियों ने चेतावनी दी है कि लगातार अनियंत्रित खनन से नदी की धारा बदल सकती है और आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार शिकायतों के बावजूद सीमांकन की स्पष्ट व्यवस्था अब तक नहीं की गई है। उनका कहना है कि यदि खनिज विभाग द्वारा सटीक सीमांकन और नियमित निगरानी की जाए, तो अवैध उत्खनन पर रोक लग सकती है।
गौर करने वाली बात यह है कि राज्य में अवैध रेत उत्खनन के मामलों में सबसे अधिक कार्रवाई महासमुंद जिले में दर्ज की गई है। ऐसे में बड़ागांव में जारी इन गतिविधियों ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन जल्द जांच दल भेजकर सच्चाई सामने लाएगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेगा।
